हिमाचल प्रदेश
में लगभग 70 हजार कर्मचारी NPS के तहत आते है और ये संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। परन्तु क्या हम सब इस स्कीम से परिचित है नही अभी भी कई कर्मचारी इससे अनभिज्ञ है । 2003 के बाद GPS स्कीम को बन्द करके CPF स्कीम चलाई गई थी। जिसे भी 2010 के बाद बिना कर्मचारियों को बताए गुपचुप तरीके से लागू कर दिया गया । एन पी एस एक नेशनल पेंशन स्कीम है जिसके तहत हिमाचल में तीन केंद्रीय कंपनियो को हायर किया गया है lic ,uti व SBI. जो भी पैसा विभाग द्वारा महीने कटा जाता है । उस पैसे को यह कंपनियां अपने तरीके से शेयर मार्किट में लगाती हैं।
यहां तक तो सब ठीक है परन्तु क्या रिटायर मेंट के बाद कर्मचारी को पूरे लाभ मिल रहे है। साथियो नहीं मिल रहे हैँ। जैसे-2कर्मी इस स्कीम के तहत रिटायर हो रहे हैँ तो इस स्कीम की खामियां भी सामने आ रही हैँ। वो ये की आपको रिटायरमेंट के समय 60 फीसदी ही आपको मिलेगा और इस 60 फीसदी पर भी आपको टैक्स देना पड़ेगा। बाकि 40 फीसदी कंपनी अपने पास रख लेगी। और जीवनयापन के लिये नाममात्र पेंशन देगी।
उदाहरण के लिए
माना 60 साल के बाद कर्मचारी के 20 लाख बने तो कंपनी 60 %के हिसाब से 12 लाख देगी जिस पर कर्मी को 30%के हिसाब से टैक्स चुकाना होगा। और जो 40% पैसा बचा उस पर आपको 4100 से 4500 तक हर माह पेन्शन मिलेगी। और आपके 8लाख रुपए के कंपनी करोड़ो रु कमाएगी। और इतना ही नहीं 60%पैसे को निकालने का तरीका इतना मुश्किल है कि कुछ कर्मचारियों की मौत हो चुकी है परंतु इनके परिवार जनो को एक पाइ भी नहीं मिली है । और यह बाते जो बताई गई है इसके प्रूफ है। चम्बा के निवासी बालक राम जो कि हाई स्कूल ठन्डोल से दिसम्वर 2012 में रिटायर हुए थे अब उनकी मौत हो चुकी है परंतु इनके परिवार को एक पैसा भी नहीं मिला है। इसके अतिरिक्त वतरा महविद्यालय पालमपुर से हिंदी के प्रोफ़ेसर श्री जगरूप कटोच जी को सिर्फ 5100रुपए ही पेंसन मिल पा रही है। अत:यह निति पूरी तरह से कर्मचारी विरोधी है। इस निति के तहत कर्मचारियों को ठगा जा रहा है और बुढ़ापे में दर 2 की ठोकरें खाने के लिए मजवूर किया जा रहा है।
अब जरूरत है
खिलाफ आवाज़ उठाने का वक्त है परंतु इसके लिए सवको एकजुट होने की जरूरत है
अत: आपसे निवेदन है कि इसे इतना शेयर करे की सभी इससे वाकिफ हो जाएँ।
धन्यवाद।
Amitabh Singh