मांगे नही मानी तो बोर्ड परीक्षाओं का करेंगे बहिष्कार
चयन-प्रोन्नन वेतनमान और अकादमिक संस्थाओं में प्रशासनिक पद देने समेत 7 सूत्रीय मांगों को लेकर राजकीय प्रधानाचार्य एसोसिएशन ने शिक्षा निदेशालय में प्रदर्शन कर धरना दिया। 19 फरवरी तक कार्रवाई न होने पर 20 फरवरी से विभागीय अधिकारियों के स्तर से मांगी जाने वाली सूचनाओं नहीं दी जाएगी। साथ ही बोर्ड परीक्षाओं का बहिष्कार भी किया जाएगा।
ये हैं मांगे:
- – रिक्त पदों पर 80 प्रधानाचार्य के तदर्थ प्रमोशन और प्रोस्टिंग
- – दुर्गम मे कार्यरत जरूरतमंद प्रधानाचार्य का सुगम में तबादला
- – 58 साल से ज्यादा उम्र के प्रधानाचार्य के तबादलों में संशोधन
- – तदर्थ प्रमोशन के पदों पर शत प्रतिशत मौलिक पदोन्नतियां
- – वर्ष 1997 से कार्यरत प्रधानाचार्य को एसीपी-चयन वेतनमान लाभ
- – राज्य के सभी प्रधानाचार्य से बीआईओ का दायित्व हटाया जाए
- – अकादमिक विभागों में शैक्षिक संवर्ग के पात्र लोगों को तैनाती
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शिक्षा अधिकारी संघ ने की आलोचना
प्रधानाचार्यों की अकादमिक संस्थाओं में प्रशासनिक पदों की मांग पर शिक्षा अधिकारी संघ ने विरोध में बांहे चढ़ा ली। संघ ने प्रधानाचार्य ऐसोसिएशन को कठघरे में करते हुए कहा कि, यदि प्रशासनिक पद ही चाहिएं थे तो वर्ष 2006 में उन्हेांने शैक्षिक विकल्प क्यों चुना?
शनिवार दोपहर ही संघ से जुड़े अधिकारियों ने सीमेट में बैठक कर प्रधानाचार्यो की मांग पर कड़ी आपत्ति की। संघ की कार्यकारी अध्यक्ष कंचन देवराड़ी ने कहा कि, छठवें वेतनमान में शैक्षिक संवर्ग को अन्य कर्मचारियों से एक अतिरिक्त वेतनमान दिया गया था। प्रधानाचार्य 5400 ग्रेड पे से सीधा 7600 रुपये ग्रेड पे पर प्रमोशन पाते हैँ। जबकि प्रशासनिक पदों की शुरूआत 5400, 6600 और तब जाकर 7600 रुपये होती है। प्रशासनिक कैडर के 130 से ज्यादा अफसरो को वर्ष 1999 से एक भी प्रमोशन नहीं मिला है जबकि शैक्षिक संवर्ग के लोग एलटी से प्रवक्ता, प्रवक्ता से हेडमास्टर और अब प्रधानाचार्य के रूप में चार-चार प्रमोशन पा चुके हैं। इस मांग को बर्दास्त नहीं किया जाएगा। भारीभरकम 7600 ग्रेड पे लेने वाले प्रधानाचार्य भी जब इस प्रकार धरना-प्रदर्शन करने लगेंगे तो फिर रह ही क्या गया? शिक्षा अधिकारी संघ इस कार्यसंस्कृति के खिलाफ है और काम करते हुए अपनी मांगों को सरकार के सामने रखेगा। प्रशासनिक पदों में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप बर्दास्त नहीं किया जाएगा।